मोह का परिणाम होता है शोक और विषाद : संत बालक दास
रतसर (बलिया) भागवत गीता हो या रामचरित मानस,हर घर में संस्कार देती है। यह एक पुस्तक नही बल्कि ग्रन्थ है, जो संसार के सभी प्रकार के प्राणियों को संस्कारित करने का कार्य कर रही है। रविवार को गड़वार विकास खण्ड के कोड़रा (बसदेवा) गांव स्थित सत्संग भवन में चल रहे श्री मद्भागवत गीता ज्ञान यज्ञ कथा के दूसरे दिन संत बालक दास ने कही। उन्होंने बताया कि धन को कमाने के लिए बड़ी डिग्रियां लेते हैं लेकिन इस जीवन को सुख और आनंद जीवन संस्कारित जीवन बनाने का काम कथा करती है। प्रभु श्री कृष्ण व भगवान राम ने जो मर्यादा स्थापित की,जो संस्कार मनुष्य जाति को सिखाएं है उसी संस्कार का प्रभाव है कि आज हर पिता श्री राम जैसा पुत्र चाहता है। हर मां श्रीराम जैसा बेटा चाहती है और हर पत्नी श्री राम जैसा पति चाहती है। कथा हर घर में भगवान को प्रकट करती है। और छोटे- छोटे बच्चों को राम जैसा संस्कार अपने हृदय में भरने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए आज समाज में कथा अत्यंत ही आवश्यक है। भगवान कृष्ण व श्री राम हमारे आदर्श हैं और हमेशा रहेंगे। संत बालक दास ने बताया कि श्रीमद्भागवत गीता के द्वितीय अध्याय में बताया गया है कि मोह का परिणाम शोक और विषाद होता है। अज्ञान की निवृत्ति शास्त्रों के स्वाध्याय एवं सत्संग से होती है।गीता ज्ञान यज्ञ कथा में सुनने के लिए भारी संख्या में श्रद्वालुओं की भीड़ उमड़ रही है। मौके पर अनाम बाबा,राधेश्याम पाण्डेय, इं०तारकेश्वर पाण्डेय, डा० मानवेन्द्र पाण्डेय, मारकण्डेय पाण्डेय, प्रेम नारायण पाण्डेय,शिवजी गुप्ता सहित क्षेत्र के अन्य लोगों का सहयोग सराहनीय रहा।
रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय
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