कालाजार प्रभावित ब्लॉक में आईआरएस का छिड़काव
बलिया । कालाजार एक जानलेवा रोग है जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है और अक्सर यह ग्रामीण इलाकों मे मिट्टी के घरों या कच्चे घरों, दरारों, दीवारों आदि में पायी जाती है। इससे बचाव के लिए घर के आसपास साफ़-सफाई का ध्यान रखकर एवं मच्छरदानी का प्रयोग कर इस रोग से बचा जा सकता है। यह कहना है जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव का।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) ने बताया कि जनपद के 10 ब्लॉक के 35 गाँव कालाजार से प्रभावित हैं जिसमें कालाजार रोधी सिंथेटिक पायराथ्राईड का छिड़काव (आई आर एस) किया जाना है। छिड़काव का कार्य एक सितंबर से हो रहा है। वर्तमान में पाँच ब्लॉक में आईआरएस का छिड़काव किया जा रहा है। यह ब्लॉक हैं क्रमशः दुबहड़, मुरलीछपरा, मनियर, सोहाव, कोटवा। पाँच ब्लॉक हनुमानगंज, बांसडीह, रेवती, चिलकहर, पंदह मे आई आर एस हो चुका है।इस छिड़काव की मदद से ग्रामीण इलाकों के मिट्टी के घरों में पनपने बालू मक्खी को खत्म किया जा सके।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) सुनील कुमार यादव ने बताया कि जनपद में जनवरी 2023 से अब तक कालाजार के तीन रोगी पाए गये, जिसमें एक वीएल (बुखार वाला कालाजार) और दो पीकेडीएल (चमड़े वाला कालाजार) के मरीज हैं।
किसी व्यक्ति को 15 दिन से अधिक बुखार आना, भूख नहीं लगना, खून की कमी, वजन घटना, त्वचा का रंग काला होना आदि कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वहीं इसके मुख्य लक्षण में से एक है त्वचा पर धब्बा बनना। यदि किसी व्यक्ति में यह लक्षण पाए जाएँ हो तो तत्काल अपने नजदीक के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला चिकित्सालय पर जांच कराकर पूरा इलाज कराएं। यह बीमारी एक बार ठीक होने पर लापरवाही न करें क्योंकि यह बीमारी एक बार ठीक होने पर दोबारा से शुरू हो सकती है। इसलिए चिकित्सक की सलाह बेहद जरूरी है।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि प्राय:देखा जाता है कि आईआरएस छिड़काव का कार्य अधिकतर लोग पूजा घरों और रसोई घरों में नहीं कराते हैं। जिससे कि बालू मक्खी की बचे रहने की संभावना बनी रहती है उन्होंने स्लोगन के द्वारा बताया कि "कोई कमरा छूटा, सुरक्षा चक्र टूटा "उन्होंने जनपदवासियों से अपील की कि आईआरएस का छिड़काव पूजा घर रसोईघर के साथ ही सभी कमरों की सभी दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक अवश्य करवाएं।
*रोकथाम -*
• अपने घर को साफ रखें। दीवार एवं आसपास के कोनों की नियमित और पूरी सफाई आवश्यक है।
• घर में प्रकाश आना चाहिए।
• रोगी एवं स्वस्थ व्यक्ति की कड़ी (बालू मक्खी) को नष्ट करने के लिए छिड़काव जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक कराएं तथा तीन महीने तक घरों में किसी प्रकार की सफेदी और पुताई न कराएं।
• कमरे में जमीन से दीवार की कुछ ऊंचाई तक पक्की दीवार की चिनाई कराएं।
- सभी लोग पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें एवं फर्श पर खुले बदन न सोएं, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें।
*घर में कराया छिड़काव:-*
1- ब्लॉक-कोटवा,निवासी - मधुबनी, इमरान ने बताया की आई आर एस का छिड़काव प्रभावित ब्लॉकों में हर छह माह पर होता है। यह छिड़काव कराने से ही कालाजार रोग कीवाहक बालू मक्खी से हम सुरक्षित हो सकते हैं।
2-ब्लॉक- कोटवा निवासी- मधुबनी, अनवरअली ने बताया कि हमारे गाँव तथा घर आई आर एस का छिड़काव हो गया है। यह छिड़काव कराना बहुत जरूरी है जिससे कालाजार रोग से हम मुक्ति पा सकें।
*क्या है आईआरएस -** कीटनाशक दवा का छिड़काव यानि इंडोर रेजीडुअल स्प्रेईंग या अंत: अवशेषी छिड़काव (आईआरएस) यह एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर छह फ़ीट की ऊँचाई तक दवा का छिड़काव किया जाता है। ताकि, कालाजार बीमारी की कारक बालू मक्खी से बचाव किया जा सके |कीटनाशक का छिड़काव, बालू मक्खी की संख्या को कम करता है। कीटनाशक का छिड़काव यदि सभी हिस्सों में नहीं किया गया हो तो बालू मक्खी बिना छिड़काव वाली सतह पर सुरक्षित रह जायेगी और उसे कोई नुकसान नहीं होगा ।
By - Dhiraj Singh
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