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शिक्षक दिवस विशेष : शिक्षा का धर्म अपनाए शिक्षक, शिक्षक दिवस तक सीमित न हो महिमा : धनेश पाण्डेय

 



रतसर (बलिया) : शिक्षक का हर मानव के जीवन में विशेष स्थान होता है। यह शिक्षक ही है जो किसी मनुष्य को इन्सान बनाता है। शिक्षक का स्थान मानव जीवन में भगवान और माता-पिता से भी उपर है। यही वजह है कि शिक्षक के बारे में जितना भी कहा जाए, कम ही है। शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ-साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कहा जाता है कि इन्सान की सबसे पहली गुरु उसकी मां होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही विशाल और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कुम्हार मिट्टी से वर्तन बनाने का कार्य करता है। शिक्षक दिवस के अवसर पर  जनऊबाबा साहित्यिक संस्था "निर्झर " के संयोजक धनेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि शिक्षक का काम विद्यार्थियों को सिर्फ पाठ्यक्रम पढ़ाना ही नही, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक एवं अध्यात्मिक विकास के लिए कार्य करना भी है।


रिपोर्ट: धनेश पाण्डेय

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