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बलिया।  ओजोन दिवस के अवसर पर विमल कुमार आनंद प्रभागीय निदेशक, सामाजिकी वानिकी प्रभाग, बलिया द्वारा वन विहार पार्क, जीराबस्ती में विलुप्त हो रहे महुआ प्रजाति के पौध का रोपण किया । रोपण करने के उपरांत उन्होंने वहां उपस्थित आम नागरिकों एवं वनकर्मियों के समक्ष ओजोन परत की महत्ता समझाते हुए डीएफओ ने बताया कि पृथ्वी का आवरण एवं इसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा ओजोन परत या ओजोन शील्ड एक रंगहीन गैस स्तर के रूप में पृथ्वी से करीब 1535 किलोमीटर ऊपर समताप मंडल में पाई जाती है। यह कवच सुर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती हैं। ओजोन की खोज सबसे पहले भौतिक शास्त्री चार्ल्स और हेनरी ने की थी। ओजोन परत की क्षरण के लिए जिम्मेदार मुख्य तत्व क्लोरीन और ब्रोमीन है। ओजोन परत के क्षरण के कारण अंटार्कटिका में बर्फ की बड़ी-बड़ी सिल्लियां पिघल रही हैं, जिसके कारण समुद्र के किनारे बसे शहरों के डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया। सुपरसोनिक विमान भी आकाश में नाइट्रोजन ऑक्साइड  छोड़ते हैं, जिससे ओजोन परत का क्षरण होता है।

उन्होंने बताया कि लगातार हो रही मानव गतिविधियों के कारण ओजोन परत को काफी नुकसान पहुंच रहा है। सिर्फ क्लोरोफ्लोरोकार्बन ही नहीं, रेफ्रिजरेटर एवं एयर कंडीशन से निकलने वाले होलो कार्बन भी ओजोन परत को नुक़सान पहुंचा रहे हैं। कहा कि व्यापक पैमाने पर वृक्षारोपण कर हम इस प्रभाव को कम कर सकते हैं। पेड़ पौधे हमारे जीवन और वातावरण के बीच संतुलन का महत्वपूर्ण घटक है, इसलिए वृक्षारोपण जरूरी है। इस मौके पर क्षेत्रीय वनाधिकारी ज्योति यादव, जयशंकर प्रसाद वर्मा, भूपेंद्र कुमार तिवारी, अखंड प्रताप सिंह, उपेंद्र कुमार, धर्मात्मा सिंह एवं अन्य लोग मौजूद थे।

By-Dhiraj Singh 

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