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एक की पहचान ही नही बल्कि जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की परिचायक भी है हिन्दी


रतसर (बलिया) जनऊबाबा साहित्यिक संस्था निर्झर के तत्वाधान में हनुमत सेवा ट्रस्ट जनऊपुर के परिसर में हिंदी दिवस पर बृहस्पतिवार को गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्था के संयोजक धनेश पाण्डेय ने बताया कि हिन्दी,केवल एक भाषा के रूप में भारत की पहचान नही है, बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों को सच्ची संवाहक,संप्रेषक और परिचायक भी है। दुनिया भर में हिन्दी समझने और बोलने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद है। साल 2019 में हिन्दी,विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बनी। शिक्षक प्रेमनारायन पाण्डेय ने बताया कि आज इंटरनेट जगत में अंग्रेजी के आलावा विभिन्न भाषाओं के साथ ही साथ अब हिन्दी में भी खोज सरल हो गई है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिन्दी का उपयोग निरंतर बढ़ रहा है। ये प्रयास काफी सराहनीय है। परशुराम युवा मंच के अध्यक्ष सक्षम पाण्डेय ने अपने मन के उद्गार को व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ प्रश्न मन में आते है कि क्या इन प्रयासों की वजह से हिन्दी बोलने,लिखने और पढ़ने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुर्ई है ? हिन्दी विकल्प के होते हुए भी लोग अंग्रजी का प्रयोग हिन्दी की तुलना में ज्यादा करते है। हिन्दी भाषा को महत्व देने की जितनी भी बातें की जाती है,वह केवल सितम्बर माह में 14 तारीख तक ही सीमित न रह जाए। इसके लिए प्रयासों की जरूरत है। इस अवसर पर मनोज पाण्डेय,राधेश्याम पाण्डेय,प्रमोद,आशुतोष आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा० परमहंस पाण्डेय एवं संचालन बब्बन पाण्डेय ने किया।


रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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