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जन्माष्टमी व्रत छः सितम्बर को इसबार जयंती योग में मनाया जायेगा श्री कृष्ण का जन्मोत्सव : पंडित आदित्य पराशर

 



बलिया : हिन्दू धर्म में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि जन्माष्टमी के रूप में मानी जाती है। इस तिथि में सनातन धर्मावलंबी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी 6 सितम्बर दिन बुधवार को मनाई जायेगी।

वैष्णव संप्रदाय के उदय व्यापिनी रोहिणी मतावलंबी वैष्णव जन सात सितम्बर को मनायेंगे।

अमृतपाली बलिया निवासी ज्योतिर्विद आचार्य पंडित आदित्य पराशर के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी छः सितम्बर की शाम 7:58 बजे लग रही है जो सात सितम्बर को शाम 7:51 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र का आरम्भ छः सितम्बर को दोपहर 2:39 बजे हो रहा है जो सात सितम्बर को दोपहर 3:07 बजे तक रहेगी। अतः छः सितम्बर की मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र के संयोग में छः सितम्बर को ही जन्माष्टमी मनाई जायेगी।


जयंती योग विशिष्ट फलदायक:~ जब भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी रोहिणी नक्षत्र से युक्त होती है तो जयंती नामक योग का निर्माण करती है। इस दिन व्रत करने से यह व्रत विशिष्ट फल प्रदान करने वाली होती है। विष्णु रहस्य में कहा गया है कि " अष्टमी कृष्ण पक्षस्य रोहिणीऋक्षसंयुता भवेत् प्रौष्ठपदे  मासी जयंती नाम सास्मृता.."। अर्थात् भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी यदि रोहिणी नक्षत्र से युक्त होती है तो जयंती योग से युक्त हो जाती है। सनातन धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व होता है।



By Dhiraj Singh

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