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मनरेगा : ' इसके भरोसे ही घर चल रहा है ' अगर ये भी नहीं रहा तो पता नहीं...



गड़वार (बलिया) कई महीने से मजदूरी का भुगतान न मिलने की वजह से मनरेगा मजदूरों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है। इस मद में बजट न आने से भुगतान लटका हुआ है। मनरेगा के अन्तर्गत काम करने वाले मजदूरों के आजीविका का एक मात्र साधन मनरेगा से मिलने वाली दैनिक मजदूरी है। इसी धनराशि पर उनका भोजन, बच्चों की पढ़ाई और दवा का खर्च निर्भर है परन्तु विगत चार माह से मजदूरी का भुगतान नही होने से उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। बाराबांध निवासी राम किसुन, दीनानाथ,हरीन्द्र, रंगलाल आदि बताते है कि मनरेगा के खाते में पैसा न आने की वजह से काम करने के बाद भी हम लोगों को कई महीने से मजदूरी नहीं मिल पाई है। जिससे अब दो वक्त की रोटी का भी जुगाड़ नही हो पा रहा है। यहीं के श्री निवास व रामप्रीत का कहना है कि सरकार हम लोगों को गांव में रोजगार देने की गारंटी तो दे रही है लेकिन समय से मजदूरी देने का पुख्ता इंतजाम नहीं कर रही है। चार माह से इस मद में एक भी पैसे का भुगतान नहीं हो सका है। अब तक तो उधारी से काम चला,अब साहुकार भी उधार सामान नहीं दे रहे है। उत्तर-प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य कन्हैया पाण्डेय ने कहा कि अगर तत्काल मनरेगा कर्मियों और मनरेगा मजदूरों का भुगतान नहीं किया जाता है तो जन आंदोलन और धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी संबन्धित अधिकारियों की होगी। इस बावत उपायुक्त मनरेगा डीएन पाण्डेय ने बताया कि विगत चार माह से मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का भुगतान तकनीकी कारणों से नही हो पाया है जल्दी ही भुगतान करा दिया जाएगा।



रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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