Kali Maa Pakri Dham

Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भव्य आयोजन कर किया शस्त्र पूजन




बलिया : "सौरज धीरज तेहि रथ चाका,

सत्य शील  दृढ़ ध्वजा पताका।

बल बिबेक दम परहित घोरे,

छमा कृपा समता रजु जोरे।" ऐसे मंत्र को गुंजायमान करने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र जी के द्वारा किये गए विजयशालिनी शक्ति का प्रकट दिवस व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्थापना के पावन दिवस दशहरा व विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया नगर के स्वयंसेवकों द्वारा शस्त्र पूजन कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ  डॉ. रामविचार रामरति सरस्वती बालिका विद्या मंदिर रामपुर उदयभान के प्राँगढ़ में मनाया गया।

ध्वजारोहण के बाद सह जिला संघचलक डॉ. विनोद सिंह, नगर संघचलक बृजमोहन सिंह व मुख्य वक्ता बलिया विभाग के विभाग प्रचारक तुलसीराम द्वारा  भगवान श्रीराम व भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन हुआ तत्पश्चात स्वयंसेवकों द्वारा शस्त्र पूजन किया गया।




मुख्य वक्ता विभाग प्रचारक तुलसीराम ने उपस्थित स्वयंसेवकों सम्बोधित करते हुए कहा कि भगवान रामजी के द्वारा समाज-संगठन व आसुरी शक्तियों पर सत्य की विजय का यह शौर्य का दिवस है, जो हिंदू समाज अनादि काल से मानता आ रहा है। इसी के साथ-साथ मां दुर्गा तथा नवरात्रि के शक्ति की उपासना के पीछे छिपे संदेश को समझना तथा महाभारत काल में कौरवों के द्वारा रचित अधर्म पर पांडवों द्वारा विजय प्राप्त करना, अपनी पंच महाभूति को तप के द्वारा बलशाली, पराक्रमशाली बनाकर सत्य सत्य के संघर्ष में विजय प्राप्त करना ही विजयदशमी का महत्व है। उन्होंने 'त्रेतायां मन्त्रशक्तिश्च, ज्ञानशक्ति कृते-युगे द्वापर युद्ध- शक्तिश्च संघे शक्ति कलौ युगे।' श्लोक की व्याख्या करते हुए बताया कि सत्ययुग में ज्ञान शक्ति,त्रेता में मन्त्र शक्ति व द्वापर में युद्ध शक्ति का बल था। किन्तु कलियुग में संगठन की शक्ति ही प्रधान है।

उन्होंने आगे बताया कि संगठन की इसी शक्ति को पहचान कर परम पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा विजयादशमी के दिन ही 27 सितंबर 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गई थी। तब से संघ द्वारा समाज जागरण व समाज संगठन का भाव लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस उत्सव को मना कर अपने गौरव को प्रकट करता है। 



उन्होंने आगे बताया कि अपने स्थापना काल के समय की प्रतिज्ञा में हर सदस्य देश को स्‍वतंत्र कराने का संकल्प लेते थे। स्‍वाधीनता के बाद यह संकल्‍प देश की बुराईयों को समाप्‍त करने का हो गया। हर स्‍वयंसेवक के लिए उसके राष्‍ट्र का परमवैभव ही उसका वैभव है। शस्त्र के सदुपयोग के लिए शास्त्र का ज्ञान होना जरूरी है। शस्त्र का दुरुपयोग एक ओर रावण और कंस बनाता है तो दूसरी ओर इसका सदुपयोग राम और कृष्ण बनाते हैं । यह बात हर स्‍वयंसेवक आज शाखा में ठीक से समझ रहा है।

अंत में संघ की प्रार्थना के बाद कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।


इस कार्यक्रम के मुख्य शिक्षक चन्द्रशेखर थे।

इस अवसर पर उपरोक्त बंधूओं के साथ  विभाग बौद्धिक शिक्षण प्रमुख गिरीश नारायण चतुर्वेदी, उमापति, जिला शारीरिक शिक्षण प्रमुख सत्यव्रत सिंह, सेवा प्रमुख डॉ. सन्तोष तिवारी, व्यवस्था प्रमुख संजय कश्यप, कुटुंब प्रबोधन प्रमुख रामकुमार तिवारी, नगर कार्यवाह ओमप्रकाश राय, भोलाजी, चंदन सोनी, अजय पाण्डेय, कृपानिधि पाण्डेय, वीरेंद्र सिंह, श्रेयांश, वाल्मीकि, आशीष, आदित्य आदि स्वयंसेवक उपस्थित थे।उपरोक्त जानकारी जिला प्रचार प्रमुख मारुति नन्दन द्वारा दी गयी।



By- Dhiraj Singh

No comments