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त्योहारों पर मिठाई घर ले जाने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाईए !

 


रामगढ़, बलिया । त्योहारो पर क्या आप भी अपने  घर मिठाई ले जाने की सोच रहे है ? यदि हाँ ! तो सावधान हो जाइए! क्योंकि आपका ये मीठा सौगात कहीं आपकी के पूरे परिवार को ही बीमार न कर दे। मिठाई की दुकान पर सजी रंग बिरंगी मिठाई भले ही आपका जी ललचाता हो लेकिन सत्यता तो यही है कि इन मिठाइयों को खाने से सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हर जगह सफेद छेने की मिठाई बेहद चाव से खाया-खिलाया जाता है, जो सबसे घटिया स्तर के मावे से निर्मित होता है। 160 रुपये किलो बिकने वाली ये छेने की सफेद ,लाल एवं पीले रंग की मिठाई मीठे जहर से कम नहीं है। एक आंकड़े के मुताबिक एक किलो मावा प्राप्त करने के लिए लगभग पांच किलो दूध की आवश्यकता पड़ती है। जबकि सिंथेटिक मावा 40 से 50 रुपये की लागत में तैयार हो जाता है। क्षेत्र के शुक्ल छपरा, पचरुखिया, दिघार, रामगढ़, दूबे छपरा, दया छपरा आदि चट्टी चौराहों पर घटिया किस्म की रंग विरंगी मिठ्ठे जहर की दुकाने पर सज रही हैं। बता दें कि स्थानीय क्षेत्र में दूध की भारी कमी के बावजूद अत्याधिक मात्रा में पनीर और मावा कहाँ से आ रहा है,ये समझ से बाहर है। सूत्रों की माने तो क्षेत्र में दूध पाउडर (लोकल) से तैयार मावा,छेना निर्मित मिठाई का मंडी बनता जा रहा है। जिसे हर एक दुकान पर सप्लाई होता है। लो क्वालिटी के मावे से निर्मित इन मिठाइयों का सेवन कर ग्रामीण बीमार पड़ रहे है। हालाकि यदा कदा खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा इन मिठाइयों का सेम्पल भी लिया जाता है। परन्तु ये कार्यवाई महज खानापूर्ति तक ही सीमित रह जाता है। समय-समय पर विभाग द्वारा भरे जाने वाले सेम्पल की रिपोर्ट कभी नहीं आती अर्थात अंदर ही अंदर सेटिंग करके सेम्पल ओके कर दिया जाता है। त्यौहार के मद्देनजर मिठाई की दुकानों पर रंग-बिरंगी मिठाइयां जो कि कई-कई दिन पूर्व निर्मित होती है। क्षेत्र के बुध्दिजीवी वर्ग संम्बन्धित अधिकारियों के ध्यान आकृष्ट करने एवं इस जहरीले खाद्य पदार्थ पर जनहित को देखते हुए अंकुश लगाने की गुहार की है।


मिलावटी मिठाईयों को खाने से कई तरह की बीमारियां उत्पन्न होती हैं डायरिया व अन्य संक्रामक बीमारियों से लोग ग्रस्त हो जाते हैं बजारों में मिलावटी मिठाई खरीदते वक्त सावधानी बरतें और शुद्ध मिठाईयों के पहचान कर के ही खरीदारी करें अन्यथा आप अनेकों प्रकार के बिमारियों से ग्रसित हो सकतें हैं।

 

डा. मनोज उपाध्याय

 चिकित्साधिकारी, सोनबरसा



रिपोर्ट:  रवीन्द्र मिश्र

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