Kali Maa Pakri Dham

Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

मंगल पांडेय के पैतृक गांव में हो रहे रामलीला के दौरान दशरथ मरण का मंचन देख दर्शक हुए भाव विभोर



दुबहर, बलिया । नगवा की रामलीला में मंगलवार की रात दशरथ-मरण एवं भरत मनावन का मंचन किया गया। लीला में राजा दशरथ के आदेशानुसार सुमंत राम, लक्ष्मण और सीता को वन में लेकर गए। राम को लौटनें का प्रयास किया गया लेकिन राम अयोध्या लौटकर नहीं आए।

इधर सुमन अयोध्या में लौट आते हैं। राम को न देखकर राजा दशरथ हाय-राम, हाय-राम कहते हुए अपना प्राण त्याग देते हैं। इसके उपरांत गुरु वशिष्ट के निर्देशानुसार भरत, शत्रुघ्न ननिहाल से बुलाए जाते हैं। अयोध्या में आकर राम, लक्ष्मण, सीता को न पाकर एवं पिता की मृत्यु को सुनकर नाना प्रकार से विलाप करते हैं। पिता के दाह क्रिया करने के पश्चात रामचंद्र जी को मनाने चित्रकूट जाते हैं। भाई भरत द्वारा अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु की खबर सुन राम द्रवित हो गए। राम नदी किनारे जाकर तर्पण किये। दोनों भाई के अटूट प्रेम को देखते हुए गुरु वशिष्ट जी सुझाव देते हैं की राम चौदह वर्ष वन में और भरत चौदह वर्ष रक्षक के रूप में अयोध्या कार्यभार संभालेंगे। भरत के विनय पर रामचंद्र अपनी चरण पादुका भाई को दे देते हैं। इसके बाद भरत जी अयोध्या आकर नंदीग्राम में निवास करने लगते हैं। इस मौके पर प्रमुख रूप से वीरेंद्र चौबे,राजनारायण पाठक,रवि पाठक,भोला,आदि लोग मौजूद रहे।

राजा दशरथ की भूमिका में जितेंद्र कुमार पाठक, वशिष्ठ की हरेराम पाठक ब्यास, राम की भूमिका सिद्धार्थ पाठक, लक्ष्मण की शौर्य चौबे, भरत की अनिकेत तिवारी, शत्रुघ्न की श्रेयांश पाठक, एवं सुमंत की भूमिका मे जगेश्वर मितवा रहे। दशरथ मरण की लीला देख उपस्थित लोगों की आंखें भर आई।



रिपोर्ट:-नितेश पाठक

No comments