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रेवती रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का टोटा

 


 रेवती (बलिया) सन 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पूरे देश में सबसे पहले आजाद होने वाले रेवती नगर को अमृत रेलवे स्टेशन का दर्जा मिलना चाहिए था। जन प्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते आजादी से पहले का स्थापित रेवती रेलवे स्टेशन को हाल्ट घोषित किए जाने से यह यात्री सुविधा विहिन स्टेशन हो गया है। पेयजल, शौचालय,साफ सफाई, रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था का अभाव है। अप साइड का प्लेटफार्म नं एक समाप्त कर दिए जाने से यात्रियों को रेलवे ट्रैक पर बिछी गिट्टी पर दोड़ते हुए ट्रेन में चढ़ने में काफ़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ट्रेनों का संचालन सहतवार व सुरेमनपुर से किया जा रहा है। सुरेमनपुर से टिकट लाकर ठेकेदार द्वारा बेचा जा रहा है ।कभी कभी टिकट कम पड़ने पर यात्री वगैरह टिकट के गन्तब्य जाने के लिए विवश होते हैं। 

रेवती कस्बा नगर पंचायत के साथ ब्लाक मुख्यालय भी है। लगभग दो दर्जन गांवों की ढ़ाई लाख आबादी का सीधा जुड़ाव रेवती स्टेशन से है। अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता ने क्षेत्रवासियों के व्यापक हित में रेलमंत्री सहित सलेमपुर सांसद रविन्द्र कुशवाहा को अलग अलग पत्रक प्रेषित कर इसे पहले की तरह स्टेशन बहाल किए जाने की मांग की हैं।


पुनीत केशरी

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