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27 वें जन्मदिन पर छात्रनेता एवं समाजसेवी आशीष मिश्रा ने 15वीं बार किया रक्तदान,कहा कि फैक्ट्री में नही बन सकता रक्त



गड़वार (बलिया) स्थानीय ब्लाक क्षेत्र के मसहां गांव निवासी छात्रनेता एवं समाजसेवी आशीष मिश्रा ने कहा कि भले ही आज विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली हो,लेकिन आज भी रक्त को किसी फैक्ट्री में नहीं बनाया जा सकता है।रक्त की पूर्ति रक्तदान के जरिए ही की जा सकती है। रक्तदान को महादान कहा गया है। रक्तदान करने से जरूरतमंद को नया जीवन मिलता है। समाज में ऐसे कई रक्तदाता है,जो नियमित अंतराल पर रक्तदान कर विषम परिस्थितियों में लोगों के काम आते है। ऐसे ही एक रक्तवीर अपने 27 वें जन्मदिन पर 15 वीं बार रक्तदान कर लोगों के लिए प्रेरणा बनें। गड़वार ब्लाक के मसहां गांव निवासी छात्रनेता एवं समाजसेवी आशीष मिश्रा 9 वर्षों से खासतौर पर अपने जन्मदिन पर लगातार रक्तदान करते आ रहे हैं। इसके अलावे अन्य अवसर पर भी रक्तदान कर लोगों की जिंदगी बचाते है। वार्ता के दौरान आशीष मिश्रा ने बताया कि कोरोना काल के समय जिला अस्पताल में भर्ती एक बच्ची को रक्त की आवश्यकता थी। इस दौरान रक्तदान कर उसकी जिंदगी बचाया। उन्होंने बताया कि रक्तदान करने के 15 दिन बाद ही मेरे गांव के पड़ोस में एक व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता पड़ने पर जानकारी के अभाव में दोबारा रक्तदान कर दिया। हालांकि इस दौरान किसी प्रकार की कोई कठिनाई तो नही हुई, लेकिन जब उन्होंने इस बात की चर्चा चिकित्सकों से की तो उन्हें ऐसा करने से मना किया और कम से कम तीन महीने में रक्तदान करने की सलाह दी। इसके बाद से वह तीन महीने के नियमित अंतराल पर रक्तदान करते आ रहे हैं। कोरोना काल के समय में जिला अस्पताल के तत्कालीन सीएमएस डा० बीपी सिंह ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया। साथ ही जनपद की कई संस्थाओं ने भी रक्तदान के लिए सम्मानित किया है। विगत 9 वर्षो से यही कोशिश है कि रक्त की कमी से किसी के घर का चिराग न बुझे और लोगों को नई जिंदगी मिले। इस पर ताउम्र अमल करने का प्रयास करूंगा साथ ही दूसरे लोगों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करता रहूंगा।


रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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