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कांग्रेस उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय राय थाम सकते है बीजेपी का दामन, नही लड़ना चाहते है पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव, गाजीपुर या बलिया से लड़ सकते है चुनाव !

 


लखनऊ : कांग्रेस उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय राय थाम सकते है बीजेपी का दामन, नही लड़ना चाहते है पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव, गाजीपुर या बलिया से लड़ सकते है चुनाव ! कांग्रेस को यूपी में अब तक का सबसे बड़ा झटका लग सकता है। सूत्रों की मानें तो पीसीसी चीफ अजय राय पार्टी का हाथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। वजहें कई बताई जा रही हैं।जिनमें से एक पीएम के खिलाफ वाराणसी के रण में न उतरने का दावा और इसके बदले बलिया से टिकट की डिमांड मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि वो बलिया सीट को लेकर शीर्ष नेतृत्व से नाराज हैं।

अजय राय वाराणसी से लड़ना नहीं चाहते हैं और भाजपा के शीर्ष नेताओं से उनकी बात चल रही है। संभावना है कि कांग्रेस आलाकमान से बात न बनने पर वो बीजेपी जॉइन कर सकते हैं। इससे पहले बताया जा रहा है कि अजय राय आज मथुरा में भगवान कृष्ण के दर्शन कर सकते हैं । इसके बाद शाम तक भाजपा भी जॉइन कर सकते हैं। वो मथुरा से दिल्ली स्थित बीजेपी हेड क्वॉर्टर में पार्टी का दामन थाम सकते हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर ऐसा होता है तो उन्हें बलिया या गाजीपुर सीट से उतारा जा सकता है क्योंकि फिलहाल बीजेपी ने उस सीट से किसी को उतारा नहीं है। यहां सातवें और आखिरी चरण में वोटिंग होगी।

अफवाहों की वजह क्या?

वैसे इन अटकलों को हवा मुख्तार अंसारी की कार्डिएक अरेस्ट से मौत के बाद के हालातों को लेकर भी उड़ी। मुख्तार अंसारी की मौत पर गठबंधन धर्म का पालन करते हुए उन्होंने कुछ भी कहने से परहेज किया था। दरअसल, अंसारी ने 1991 में इनकी आंखों के सामने ही बड़े भाई अवधेश राय की हत्या कर दी थी। अंसारी को आजीवन कारावास का एक केस अवधेश का भी था। जिसके लिए अजय राय ने लंबी लड़ाई लड़ी थी। अवधेश राय हत्याकांड में सजा मिलने पर अजय राय ने प्रसन्नता जाहिर की थी और उसके बाद काशी विश्वनाथ दरबार में हाजिरी लगाते हुए अदालत को धन्यवाद कहा था।

अपनी ही सरकार का किया था विरोध

अजय राय ने कांग्रेस में रहते हुए अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। जब मुख्तार पंजाब के रोपड़ जेल में था और यूपी सरकार मुख्तार को वापस यूपी की जेल में लाने के लिए सप्रीम कोर्ट तक पहुंची तब पंजाब की अमरिंदर सरकार ने विरोध किया था। इस पर अजय राय ने आपत्ति जताई थी।

वाराणसी से नहीं लड़ना चाहते चुनाव, क्यों?

एक मुख्य वजह और है वो ये कि वाराणसी में मिली पिछली हार को वो रिपीट नहीं करना चाहते। कांग्रेस ने अपनी चौथी लिस्ट में 46 उम्मीदवारों का नाम डिक्लेयर किया। पिछले दो लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने अजय राय को पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ाया था लेकिन उनके हाथ खाली रहे। 2009 में उन्हें सपा ने टिकट दिया। वाराणसी से मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ मैदान में उतारा लेकिन करारी हार का सामना करना पड़ा। ये क्रम कांग्रेस में आने के बाद 2014 और 2019 में भी जारी रहा। 5 लाख से अधिक वोटों से मात मिली। यही वजह है कि वो पीएम के मुकाबले नहीं खड़ा होना चाहते और बलिया या गाजीपुर को सेफ मान वहीं से ताल ठोकना चाहते हैं।



डेस्क

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