...और लौट आई आंखों की रोशनी
बलिया। अक्सर लोग यह कहावतें कहते है कि अंधे को क्या चाहिए दो नयन...। लेकिन जब आंखों की रौशनी अचानक चली जाए तो कोई क्या करें। पकड़ी धाम स्थित मां काली के दरबार में यह कहावत हकीकत का रूप अख्तियार कर लिया है और पूर्णमासी साहनी इसके प्रत्यक्ष प्रमाण है।
पूर्णमासी साहनी बताते हैं कि वह किसी काम से दिल्ली गए थे, वहीं अचानक दोनों आंखों से दिखाई देना बंद हो गया। आंखों के उपचार के लिए वह बड़े-बड़े अस्पतालों का चक्कर लगाया, लेकिन कहीं उसे राहत नहीं मिली। इसी दौरान परिजन उसे पकड़ी धाम स्थित मां काली की दरबार में लेकर आए, जहां उसने मां काली के पुजारी राम बदन भगत से आपबीती बताई। भगत हवन कर रहे थे, वहीं हवन पर बैठे-बैठे उन्होंने पूर्णमासी के ऊपर गंगाजल छिड़का। इसके बाद तो मानो चमत्कार हुआ और पूर्णमासी की दोनों आंखों की रोशनी लौट आई और वह पूर्व भांति सब कुछ देखने लगा।
डेस्क
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