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सीआरपीएफ जवान के फिर से बहाल होने की अनोखी कहानी : एक सीआरपीएफ जवान जो 196 दिन रहा गायब, चली गई नौकरी और फिर....


                   







पटना :सीआरपीएफ जवान के फिर से बहाल होने की अनोखी कहानी :  एक सीआरपीएफ जवान जो 196 दिन रहा गायब, चली गई नौकरी और फिर....पटना में एक CRPF जवान 23 मई 2012 से 4 दिसंबर 2012 तक बिना किसी को बताए छुट्टी पर चला गया था. जिसके बाद उससे डाक के माध्यम से छुट्टियों के विस्तार की मांग की गयी, लेकिन वो नहीं आया.

बाद में जब वह काम पर लौटा तो उसकी नौकरी जा चुकी थी. लेकिन उसने हार नहीं मानी और मामले को लेकर कोर्ट गया. अब इस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने सीआरपीएफ कर्मी के पक्ष में फैसला सुनाया है.

CRPF जवान ने कोर्ट के सामने अपना पूरा पक्ष रखा. उसने बताया कि वह कैंसर पीड़ित मां की देखभाल करने के लिए छुट्टी पर था. मां को उसकी जरूरत थी. वह अपनी मां को इस हाल में अकेला नहीं छोड़ सकता था. इसके बाद पटना उच्च न्यायालय ने कैंसर से पीड़ित अपनी मां की देखभाल के लिए 196 दिनों तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण सेवा से बर्खास्त किए गए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कर्मी को बहाल करने का आदेश दिया.

न्यायमूर्ति पी.बी. बजंथरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडे की पीठ ने मंगलवार को सीआरपीएफ के बर्खास्त सिपाही सुमित कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि संबंधित प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपीलकर्ता की सेवा को बहाल करें और कानून के अनुसार सेवाओं को विनियमित करें.

जुर्माना लगाने का आदेश

अदालत ने सिपाही पर बर्खास्त किये जाने के बजाए जुर्माना लगाने का आदेश दिया. साथ ही तीन महीने की अवधि के भीतर आदेश का पालन करने को भी कहा. अदालत ने कहा कि कई मौकों पर अपीलकर्ता ने डाक के माध्यम से छुट्टियों के विस्तार की मांग की लेकिन उसे 196 दिनों की अवधि के लिए बिना किसी स्वीकृत छुट्टी के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने (23 मई 2012 से चार दिसंबर 2012) के कारण भगोड़ा घोषित कर दिया गया और अपीलकर्ता की ड्यूटी से अनधिकृत अनुपस्थिति के कारण विभागीय जांच शुरू हुई.

अपीलकर्ता की दलील

विभागीय जांच ने आलोक कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस फैसले को बरकरार रखा था, जिसके बाद कुमार ने खंड पीठ के समक्ष फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में, अपीलकर्ता को ड्यूटी से अनुपस्थित पाया गया और उसने स्पष्टीकरण दिया कि उसकी मां को कैंसर हो गया था और उसने अपनी मां के इलाज के लिए छुट्टी के लिए आवेदन किया था और यह उसके नियंत्रण से बाहर था.

कोर्ट ने दिया आदेश

कोर्ट ने आदेश में कहा कि हमें मामले के दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों में अपीलकर्ता के प्रति सहानुभूति पूर्ण दृष्टिकोण अपनाना होगा कि अपीलकर्ता के पास नियुक्ति स्थान छोड़ने का कारण है. अदालत ने एकल पीठ द्वारा एक अप्रैल 2019 को पारित किये गये आदेश को रद्द कर दिया साथ ही उसकी बर्खास्तगी के आदेश को भी निरस्त कर दिया.



डेस्क

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