Kali Maa Pakri Dham

Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के 5251वां जन्मोत्सव पर विशेष:रोहिणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में इस बार मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

 



गड़वार (बलिया) हिन्दू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस दिन लोग व्रत रखकर और बिना व्रत के भी बड़े उल्लास के साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। इस वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर कई वर्षों के बाद ऐसा संयोग बना है जो बहुत ही दुर्लभ है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि बुधवार रोहिणी नक्षण एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था। 



जनऊपुर निवासी पं०राकेश पाण्डेय ने बताया कि इस साल जन्माष्टमी पर चंद्रमा,वृषभ राशि में विराजित रहेंगे,जिससे जयंती योग का निर्माण होगा। इस योग में पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस साल की जन्माष्टमी के दिन सर्वाध सिद्धि योग बन रहा है। हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। जन्माष्टमी के इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-उपासना की जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण के शरणागत रहने वाले जातकों को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। शिक्षाविद्,कवि डा० पं०परमहंस जी पाण्डेय ने बताया कि शास्त्रों में इसका विशेष उल्लेख है। 'अर्द्धरात्रे तु रोदिण्यां यदा कृष्णाष्टमी भवेत। तस्यामभ्यर्चनं शौरिहन्ति पापों त्रिजन्मजम। " अर्थात सोमवार में अष्टमी तिथि,जन्म समय पर रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एवं जन्मोत्सव मनाने वाले श्रद्धालुओं के तीन जन्म के पाप समूल नष्ट हो जाते हैं और ऐसा योग शत्रुओं का दमन करने वाला है। निर्णय सिंधु में भी एक श्लोर आता है " त्रेतायां द्वापरे चैव राजन्कृतयुगे तथा,रोहिणी सहितं चेयं विद्वद्भि:समुपपोषिता।अर्थात हे राजन त्रेत्रा युग, द्वापर युग,सतयुग में रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी तिथि में ही विद्वानों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उपवास किया था इसीलिए कलयुग में भी इसी प्रकार उत्तम योग माना जाए। ऐसा योग विद्वानों और श्रदालुओं को अच्छी प्रकार से पोषित करने वाला योग होता है।

*शुभ मुहूर्त*

ज्योतिष शास्त्री पं०भरत पाण्डेय ने बताया कि पंचाग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त की रात 3:39 मिनट पर होगी। 27अगस्त रात 2ः19 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में 26 अगस्त 2024 को कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा।

*रोहिणी नक्षत्र*

रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को दोपहर 03:55 मिनट से प्रारंभ होगा और 27 अगस्त की दोपहर 03:38 मिनट पर समाप्त होगा।

*पूजन मुहूर्त*

इस साल भगवान श्रीकृष्ण का 5251 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कृष्ण जन्माष्टमी का पूजन का शुभ मुर्हत 26 अगस्त की देर रात 12 बजे से 27 अगस्त की 00.44 मिनट तक है।

*सर्वार्थ सिद्धि योग*

इस साल की जन्माष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर में 3:55 मिनट से शुरू होगा और यह 27 अगस्त की सुबह 5:57 मिनट तक रहेगा।ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा।

*जन्माष्टमी का भोग*

भगवान लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग बहुत पसंद है। इस वजह से जन्माष्टमी वाले दिन बाल श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। इसके अलावा आप केसर वाला घेवर,पेड़ा,मखाने की खीर,रबड़ी, मोहन भोग, रसगुल्ला,लड्डू आदि का भोग लगा सकते हैं।


रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

No comments