हिंदू धर्म में किसी भी पूजा को सफल नहीं माना जाता है कुश के बिना : ज्योतिषाचार्य डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय
हिन्दू धर्म में कुश के बिना किसी भी पूजा को सफल नहीं माना जाता है,इसलिए भाद्रपद कृष्ण अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या या कुशाग्रहणी अमावस्या कहा जाता है।
इस दिन कुशा नामक घास को उखाड़ने से यह वर्ष भर कार्य करती है तथा पूजा पाठ कर्म कांड सभी शुभ कार्यों में आचमन में या जाप में उपयोग में आती है। यदि भाद्रपद माह में सोमवती अमावस्या पड़े तो इस कुशा का उपयोग 12 सालों तक किया जा सकता है।
अमावस्या के दिन कुशा घास को निकालने के कुछ नियम होते है जिनका पालन आवश्यक होता है।
कुशा: काशा यवा दूर्वा उशीराच्छ सकुन्दका:।
गोधूमा ब्राह्मयो मौन्जा दश दर्भा: सबल्वजा:।।
कुशा को निकालते समय यह ध्यान रखाना चाहिए कि कुशा को किसी भी औजार से ना काटा जाये, इसे केवल हाथों से ही निकलना चाहिए और कुशा घास खंडित नहीं होनी चाहिए।
अर्थात् घास का अग्रभाग टूटा हुआ नहीं होना चाहिए। कुशा एकत्रित करने के लिए सूर्योदय का समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है। अतः ‘ऊँ हुम् फट’ मन्त्र का उच्चारण करते हुए उत्तराभिमुख होकर कुशा उखाड़नी चाहिए। दाहिने हाथ से एक बार में ही कुशा को निकालना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य
डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय
(इंदरपुर,थम्हनपुरा,बलिया)
(9918861411)
By- Dhiraj Singh
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