सिद्ध संत जंगली बाबा की दर पर आज भी पुरी होती है मुरादें
➡️ धनतेरस के दिन पुण्यतिथि पर गड़वार में महारुद्र यज्ञ के साथ लगता है मेला
गड़वार (बलिया) बलिया की तपोभूमि पर अनेक संत महात्मा पैदा हुए जिन्होंने अपनी तपस्या के बल पर दीन दुखियों का कल्याण किया,इनमें एक रहे संत शिरोमणि जंगली बाबा। रसड़ा तहसील के जाम में पैदा हुए बाबा की बाल्यावस्था में ही उनके अलौकिक लक्षण दिखाई पड़ने लगे। धीरे-धीरे इनका जीवन भ्रमण में रहने लगा। बाबा कुछ समय बाद सुदिष्ट बाबा के यहां चले गए व घाघरा के किनारे रहने लगे। बाबा की गाली श्रद्धालुओं के लिए आशीर्वाद बन जाता। इनके आशीर्वाद से गरीब दुखियों का कल्याण हुआ। हथुआ महाराज नि:संतान थे। रानी को बाबा के आशीर्वाद से पुत्र की प्राप्ति हुई। नरेश द्वारा बाबा के साधना स्थल गड़वार जन्म स्थल जाम, तपोस्थली कठौड़ा में भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है। गड़वार स्थित मंदिर की भव्यता जो समाधि स्थल है, आज आस्था का केंद्र बना हुआ है। बाबा के बारे में अनेक आश्चर्य जनक मनःस्थिति को विस्मय कर देने वाली घटनाएं भी प्रचलित है। एक बार हथुआ महाराज की गाड़ी से बाबा जा रहे थे कि अचानक तेल खत्म हो गया, बाबा ने ड्राइवर से कहा कि इ भुखाइल बिया एके खेतवा में घास खिया द गाड़ी खेत में गई और स्टार्ट हो गई। एक बार की बात है कि बाबा अपने भक्तों के साथ ट्रेन पकड़ने जा रहे थे कि ट्रेन आकर स्टेशन पर खड़ी हो गई। भक्तों ने कहा कि बाबा ट्रेन आ गई है। बाबा कहे कि घबड़ासन मत हमनी के लेके जाई ट्रेन। ट्रेन का ड्राइवर लाख कोशिश किया गाड़ी नहीं चली। बाबा स्टेशन पर पहुंचे तब चली। ट्रेन चलने पर सभी भक्तगण बिना टिकट के ही ट्रेन पर सवार हो गए थे। अगले स्टेशन सम्भवतः रसड़ा में ही चेकिंग हो गई। सभी पकड़े गए। बाबा वही थे। एक भक्त बाबा से कहा कि सबके पुलिस पकड़ले बा,टिकट ना रहल ह ओहि से,इतना सुनना था कि बाबा कहे ' भइयवा अपना थैलिया में देखसन टिकटवा त ओहि में होई निकाल के देदसन' सभी लोग पाकेट में हाथ डाले तो सबके पाकेट में टिकट पड़ा था। इस प्रकार अनेक आश्चर्य जनक घटनाओं का जिक्र मिलता है जो विस्मय करने वाली है। बाबा ने किसी को अपना शिष्य नहीं बनाया।किसी धर्म व मजहब से उपर सभी का उद्धार करते। बाबा के निर्वाण दिवस धनतेरस के दिन भव्य मेला लगा है। परमेश्वरानंद सरस्वती महाराज उड़िया बाबा को श्री जंगली बाबा के स्वप्नादेश के तहत हर वर्ष महारूद्र यज्ञ होता है।
रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय
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