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बलिया के मनियर में पहली बार हुआ राम शक्ति पूजा मंचन



  


मनियर, बलिया । नारी ही सृष्टि में शक्ति का उद्गम स्रोत है। वो नारी ही है जो अपने गर्भ में बालक को न केवल नौ महीने रखती है बल्कि उसे जन्म देकर इस धरा पर लाती है। अपने  बच्चे को उसकी पहचान दिलाती है और जीवन की वास्तविक चुनौतियों से संघर्ष करने व उन पर विजय प्राप्त करने के लिए तैयार करती है। यही कारण है कि प्रभु श्रीराम ने भी लंकाधिपति रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले शक्ति की अराधना की और विजयश्री का वरदान प्राप्त किया । उक्त बातें बाँसड़ीह की विधायक केतकी सिंह ने शनिवार की सायं कस्बे के विनय स्मृति मंच पर साहित्य सदन पुस्तकालय के 13 वां व युवासंगठन के 19 स्थापना दिवस के तत्वावधान में आयोजित निराला की कालजयी रचना राम की शक्ति पूजा के नाट्य  मंचन के दौरान उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुई कहीं। कार्यक्रम में आये अतिथियो ने  पहले मां सरस्वती के तैलचित्र के  आगे दीप प्रज्वलीत कर कार्यक्रम कि शुरूआत करायी । विधायक केतकी सिहं ने कहा कि इस  पावन नवरात्र के समय में जब माँ दुर्गा की अराधना का समय चल रहा हो, वैसे समय में कला एवं संस्कृति के वास्तविक उत्थान हेतु ऐसे आयोजनों का होना हमसब के लिए गौरव की बात है। गौरतलब हो कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की आराधना का एक सुर जो काशी पुराधिपति भगवान विश्वनाथ के पवित्र आँगन बनारस से निकलकर देश - विदेश में फैल गया, उसकी प्रस्तुति साहित्य सदन पुस्तकालय व युवा संगठन के स्थापना दिवस के मौके पर रुपवाणी , बनारस के द्वारा हुई जिसमें हिन्दी के जाने-माने लेखक, संस्कृतिकर्मी और नागरी प्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ल के निर्देशन में नाट्य मंचन हुआ। शुक्ल को उनके उत्कृष्ट निर्देशन के लिए संगीत नाटक अकादमी का उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ युवा पुरस्कार भी मिल चुका है।विशिष्ट अतिथि व‌ पूर्व सांसद रविन्दर कुशवाहा ने कहा कि ये हमारे क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक घड़ी है जब देश - विदेश में प्रदर्शनों का शतक पूरा कर ये नाटक अब परशुराम धरा पर प्रस्तुत होने जा रहा है। बताते चलें कि 5 फरवरी 2013 को अपनी पहली प्रस्तुति के बाद बीते दिनों नयी दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल रामायण फेस्टिवल, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद में ये नाटक अपने मंचन का शतक पूरा कर चुका है जबकि इसके 11 मंचन विदेशों में भी हो चुके हैं। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बलिया के प्रभारी मंत्री दया शंकर मिश्र ' दयालु ' ने डिजीटली अपनी बात रखते हुए आयोजक व पुस्तकालय के संस्थापक गोपाल जी युवा के समाज सेवा के प्रयासों को सराहा व पुस्तकालय के प्रति अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित कीं। पूर्व मंत्री राजधारी सिंह ने पुस्तकालय से जुड़े बच्चों के स्वर्णिम भविष्य की कामना करते हुए आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। महिला आयोग की सदस्य सुनीता श्रीवास्तव ने अपने जीवन के प्रसंगो पर संक्षिप्त चर्चा करते हुए बच्चों को कभी हार न मानने की बात कहीं। कार्यक्रम के दौरान  शुक्ल की टीम ने ऐसा समाँ बाँधा कि हजारों की भीड़ कुछ घंटों के लिए जड़वत हो गई और समापन के साथ ही बाबा परशुराम व श्रीराम के जय - जयकारों के साथ कार्यक्रम स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। इस मौके परर वरिष्ठ भाजपा नेता देवेन्द्र नाथ त्रिपाठी व सुमन उपाध्याय ने अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न देकर अतिथियों का स्वागत किया। महाप्राण निराला के जीवन प्रसंगों की चर्चा करते हुए कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह ने किया तथा आयोजक गोपाल जी ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया। इस मौके पर जिला कॉपरेटिव बैक के  चेयरमैन विनोद शंकर दुबे,भाजपा नेता जितेन्द्र तिवारी, भृगुनाथ स्वर्णकार ,अमर नाथ तिवारी ,संजीव वर्मा, सुनील सिंह, अमरेन्द्र सिंह, सहित वरिष्ठ जन उपस्थित रहें।




राम की शक्ति की पूजा का मंचन में 

नाटक के लेखक रूपवाणी समूह की संस्थापिका शिक्षाविद् डॉक्टर शकुंतला शुक्ला व नाटक के निर्देशक हिंदी के जाने-माने लेखक संस्कृति कर्मी और नगरी प्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री व्योम शुक्ला द्वारा  नाटक का शीर्षक "राम की शक्ति पूजा" था। इस नाटक में मंचन के बोध कराया गया  कि रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रभु श्री राम देवी की आराधना में मौजूद थे। उन्होंने पूजा के लिए108 कमल दल की व्यवस्था की लेकिन देवी द्वारा 108 वें नंबर के कमल का फूल चोरी कर लिया गया। श्रीराम की पूजा 108 वे फूलों के बिना खंडित हो रही थी ।राम रावण पर विजय प्राप्त नही कर पा रहे थे जिससे चिन्तीत थे राम के चिन्तीत  होने के कारण उनकी सेना भी चिन्तीत हो गयी यहां तक हनुमान व विभिषण भी चिन्तीत हो गये हनुमान जब क्रोधित हुए तो उनकी माता अंजना ने आकर बोध कराया उधर सेना को चिन्तीत देखकर राम ने ध्यान धरकर देखा कि देवी रावण को गोद में लेकर स्वंयम लड़ रही है पुजा कर रहे  श्रीराम ने फूल को काफी खोजने का प्रयास किया जब नहीं मिला तो उन्होंने तरकस से बांण निकाला। देवी आकर षष्टांग पड़ी और राम में विलीन हो गई। तब राम ने रावण पर विजय प्राप्त किया । नाटक का निर्देशक देवेश, राम की भूमिका में स्वाति,लक्ष्मण की भूमिका में साक्षी देवी की भूमिका में नंदनी, विभीषण की भूमिका में शाश्वत एवं हनुमान की भूमिका में तापस रहे। 



प्रदीप कुमार तिवारी

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