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रामलीला का हुआ सजीव मंचन : रावण के बाल्यकाल से लेकर अत्याचार तक का हुआ मंचन




गड़वार(बलिया) कस्बा के रामलीला मंच पर श्री रामलीला समिति के तत्वावधान में चल रहे रामलीला के क्रम में मंगलवार की रात में कलाकारों द्वारा कुबेर, रावण,विभीषण,कुम्भकर्ण जन्म,इनकी तपस्या,रावण का अत्याचार व श्रीराम,भरत,लक्ष्मण,शत्रुध्न का जन्म की लीला का जीवंत मंचन किया गया।लीला का शुभारंभ मुकेश तिवारी व विजय गुप्ता ने दीप प्रज्वलित कर किया।लीला के माध्यम से दिखाया गया कि रावण वरदान पाने के लिए अपने भाई कुंभकर्ण के साथ भगवान शिव की कठिन तपस्या करने लगता है।घोर तपस्या के बावजूद भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए तो रावण ने दस बार अपना सिर काटकर उन्हें चढ़ा दिया।इस त्याग व बलिदान से भगवान शिव खुश हुए और रावण को मनचाहा वरदान दे दिए।वरदान मिलते ही रावण देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों पर अत्याचार करने लगा। रावण के अत्याचार से तंग होकर देवी देवताओं के साथ भगवान ब्रह्मा जी के पास गए।वहाँ उन्हें आश्वासन मिलता है कि भगवान श्रीहरि राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लेकर रावण का विनाश करेंगे।तत्पश्चात लीला आगे बढ़ती है और वशिष्ठ मुनि द्वारा राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति हेतु पुत्रेष्टि यज्ञ कराने की सलाह,श्रृंगी ऋषि द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ कराना, राम,लक्ष्मण,भरत,शत्रुध्न का जन्म अयोध्या में राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म होना दिखाया गया। इनके जन्म के बाद अयोध्या में खुशहाली होना,पुष्पवर्षा आदि का लीला का मंचन कर मंगलवार की लीला समाप्त हो गई।लीला के दौरान रावण की  भूमिका जुलुम सिंह,कुम्भकरण  की गुनु राम,विभीषण करन साहनी,सुमाली की धनजी शर्मा,श्रृंगी ऋषि संजय गुप्ता,वशिष्ठ ऋषि की सोनू तिवारी,दशरथ की धनजी शर्मा, इंद्र की राकेश मौर्य ने व अग्नि की गोलू पटेल ने निभाया।संचालन मुकेश सिंह ने किया।व्यास गद्दी पर मोती पटेल रहे।



रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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