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रेलवे ट्रैक के दोनों साईड रखे गए रेल पटरी से आए दिन यात्री हो रहे चोटिल

 


रेवती (बलिया) । एक तो "कोढ़ ऊपर से खाज" यह उक्ति स्थानीय रेवती रेलवे स्टेशन पर सटीक परिभाषित हो रहीं हैं। आजादी से पहले के स्थापित स्टेशन को हाल्ट घोषित होने के बाद यात्री सुविधा का हो रहा विस्तार कार्य फरवरी 2023 से बंद कर दिया गया। अप साईड का प्लेटफार्म नंबर एक समाप्त कर दिया गया है। बिना प्लेटफार्म के रेलवे ट्रैक के दोनों साईड सुरक्षा के मद्देनजर रेल की पटरी बिछाई गई है। जिससे दैनिक यात्रियों की परेशानी और बढ़ गई है। सुबह इन्टरसिटी ट्रेन तथा रात में उत्सर्ग एक्सप्रेस ट्रेनों में चढ़ते समय बिजली के न रहने पर यात्री आए दिन चोटिल हो रहे हैं। बीते 10 दिसंबर को सुबह इन्टरसिटी ट्रेन में चढ़ते समय कस्बा निवासी धनेश पाल एवं एक अन्य यात्री बिछाई गई रेलवे लाइन से चोटिल हो गए। सारनाथ एक्सप्रेस व डीएमओ मेमू पैसेंजर ट्रेन में यात्रियों को परिजन ट्रेन में ठेल कर चढ़ाने आते हैं। रेलवे क्रासिंग से सटे प्लेटफार्म नंबर दो पर चढ़ने के लिए सीढ़ी तक नही बना है। शौचालय, पेयजल,टिन शेड की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो पाई है। टिकट ठेका सिस्टम से बिकता है। टिकट की कमी होने पर यात्री वगैरह टिकट के गन्तव्य को रवाना होते हैं। ट्रेन के आने जाने की एलाउंसमेट की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोगों को मोबाइल के नेट से ट्रेन के लोकेशन का पता लगाना पड़ता है।

स्टेशन बहाल करो संघर्ष समिति तथा व्यापार मंडल के संयुक्त तत्वावधान में हाल्ट घोषित रेवती को स्टेशन बहाल करने के लिए 53 दिनों से अनवरत आंदोलन चलाया जा रहा है। रामराज वर्मा के अस्पताल रेफर किए जाने के बाद 14 वें भूख हड़ताली के रूप में इन्दल राम मंगलवार से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। बुधवार को उनका दूसरा दिन है। सड़क से लेकर संसद तक मामला उठने के बावजूद स्टेशन बहाल को लेकर रेल प्रशासन से अभी तक कोई कार्यवाही नही कि गई । जिससे क्षेत्रवासियों में रेल प्रशासन के खिलाफ आक्रोश गहराता जा रहा है। आंदोलन के संयोजक ओमप्रकाश कुंवर ने चेतावनी दी है कि रेल प्रशासन इस संबंध में जल्द कोई सार्थक पहल नहीं करता तो हम लोग अपने आंदोलन का रूख बदलने के लिए बाध्य हो जाएंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी रेल प्रशासन की होगी।


पुनीत केशरी

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