भारत के संविधान के प्रस्तावना को भारत की आत्मा के रूप में स्वीकार : पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरकेश सिंह
बलिया : सतीश चंद्र कॉलेज बलिया राजनीति विज्ञान विभाग के द्वारा शुक्रवार के दिन विश्वविद्यालय स्तरीय संगोष्ठी का भारत के संविधान की उद्देशिका विषय पर आयोजित किया गया ।
आज की संगोष्ठी में मुख्य अतिथि जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह जी रहे ।
संगोष्ठी में सारस्वत अतिथि के रूप में सैन्य विज्ञान के आचार्य और हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर लल्लन जी सिंह जी रहे ।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य वक्तव्य विषय पर कुंवर सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के पूर्व प्राचार्य राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ अशोक कुमार सिंह ने दिया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर बैकुंठ नाथ पांडेय ने किया ।
संगोष्ठी में स्वागत और विषय प्रवर्तन राजनीति विज्ञान के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर सानंद सिंह ने दिया l प्रोफेसर सानंद सिंह ने बलिया की राजनीतिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक मेधा से सभी का परिचय कराया। साथ ही सतीश चंद्र कॉलेज बलिया के इतिहास पुरुष सतीश चंद्र गिरी जी को नमन किया। अपने विभाग के पूर्व छात्र भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी का नमन किया lऔर यह भी बताया कि राजनीति विज्ञान विभाग सदैव से सतीश चंद्र कॉलेज बलिया का देश की राजनीति के लिए मार्गदर्शन के रूप में रहा है । यहां की विद्यार्थियों ने मतदाता से लेकर के नेता तक सकारात्मक वातावरण दिया है ।
आज की यह उद्देशिका पर परिचर्चा हमें विश्वास है की बलिया के भूगोल में जन-जन तक इसकी महत्ता का प्रकाश डालेंगी। सतीश चंद्र कॉलेज बलिया की विद्या भूमि पर आयोजित इस संगोष्ठी में उन्होंने आए हुए अतिथियों का पुष्प कुछ माल्यार्पण अंग वस्त्र प्रतीक चिन्ह भारत के संविधान के उद्देशिका ,डायरी सेअभिनंदन किया।
आज के इस कार्यक्रम में अनेक विद्वानों ने प्रोफेसर संजय ठाकुर ,प्रोफेसर अवनीश चंद्र पांडे ,डॉक्टर राजेश कुमार ,प्रोफेसर श्रीपति यादव आदि ने अपना भारत के संविधान उसके मूल्य परक उद्देश्य ,नागरिकों के अधिकार ,स्वतंत्रता समानता मूल अधिकार ,विभिन्न विषयों सर्वोच्च न्यायालय ,भारत के न्याय प्रक्रिया आदि पर अपना विचार विमर्श रखा ।विद्यार्थीयो ने भी अपनी बात रखें।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर हरिकेश सिंह जी ने भारत के संविधान के प्रस्तावना को भारत की आत्मा के रूप में स्वीकार किया और यह बताया कि भारत, के संविधान में भारत के अंतिम पंक्ति का के व्यक्ति का ध्यान रखकर भारतीय संविधान की संरचना की गई। प्रोफेसर हरिकेश सिंह जी ने भारत के संविधान की विभिन्न रूपों की लोकतांत्रिक समाज में लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना में उसके आदर्श स्वरूपों की परिचर्चा की ।
भारत के संविधान के उद्देशिका पर हो रही इस संगोष्ठी के सारस्वत अतिथि प्रोफेसर लल्लन जी सिंह ने अपने विचार से भारत के संविधान की प्रस्तावना की 42 में संविधान संशोधन को पुनर्विचार करने के लिए भारतीय संसद से, सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया ।
और यह भी कहा की लोकतांत्रिक समाज की संरचना में भारत के संविधान की आत्मा में संशोधन किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है और तब तो और जब भारत में आपातकाल लागू था।उन्होंने अपनी भी और प्रसिद्ध विचारक मोर्गेंथाऊ की पुस्तक का भी उदाहरण प्रस्तुत किया ।
विद्यार्थियों का आवाहन किया कि वह पढ़े अच्छी पुस्तकों से अच्छे संस्थानों से विद्यार्थी आगे बढ़ सकते हैं।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने भारत के संविधान के बनने के पूर्व ब्रिटिश हुकूमत में भारतीय जनता के शोषण से अपनी बातचीत की शुरुआत की।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ,विश्व में अनेक देशों के टकराव और उनके संघर्ष से उपजे मानवता के संकट के बाद ,संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका से अपनी बात को गंभीर बनाया और चार्टर के उद्देश्य में मानव कल्याण छोटे और बड़े राष्ट्रों के हितों की चिंता की बात की। यह भी कहा कि आजादी के पूर्व में यह नहीं कर सकता कि भारत के संविधान के बनने में कोई आधार इसका रहा होगा ,लेकिन चार्टर की बहुत सी बातें भारत की संविधान की प्रस्तावना को स्पष्ट करती है। उन्होंने इंग्लैंड अमेरिका जर्मनी फ्रांस आदि देशों के संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था का उदाहरण भी दिया।
देश में आजादी के संघर्ष के बाद बन रहे संविधान की उद्देशिका की परिचर्चा का भी विद्वत्तापूर्ण उल्लेख किया।
भारत के संविधान की मूल आत्मा इस उद्देशिका में रहती है।
हम भारत के लोग से शुरू होकर यह उद्देश्य का आत्म अर्पित करते हैं ,तक के सभी शब्दों की व्याख्या प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने आचार्य के सम्मुख और विद्यार्थियों के सम्मुख , गंभीरता पूर्वक रखा।
विद्वत्तापूर्ण उनके उद्बोधन से सभी को मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। हम उनके आभारी है।
आज के इस कार्यक्रम आज की संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे सतीश चंद्र कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर बैकुंठ नाथ पांडे जी ने सन गोष्ठी की सार्थकता को महसूस किया
आए हुए अतिथियों का सम्मान किया और विषय के बारे में यह कहा की उद्देशिका केवल राजनीति विज्ञान का विषय नहीं बल्कि सभी विद्यार्थियों को और सभी शिक्षकों को इस जानना और समझना चाहिए।
राजनीति विज्ञान के महाविद्यालय के आचार्य डॉ संजय कुमार ठाकुर ने 42 में संविधान संशोधन को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और यह कहा कि भारत की संविधान सभा हर तरह से सक्षम थी प्रस्तावना की रूपरेखा पूरी तरह से स्पष्ट थी दल
बाद में इस तरह के संशोधन को किसी भी स्तर में भारत के संविधान और भारत की जनता के लिए विचारणीय विषय के रूप में माना जा सकता है। शिक्षक नेता महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर दर्शनशास्त्र अवनीश चंद्र पांडे ने भारत के संविधान में 42 में संविधान संशोधन को स्वीकार किया और यह कहा कि भारत की जनता के हित में इसे स्पष्ट करना बहुत ही आवश्यक रहा है मैं इन बातों का समर्थन करता हूं।
आगंतुकों के प्रति हिंदी साहित्य के आचार्य प्रोफेसर श्रीपति यादव जी ने अपनी कविता अपनी वाणी अपनी सहजता से सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
संगोष्ठरी का सफल संचालन राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर राजेश कुमार ने किया।
आज के इस कार्यक्रम में टाउन डिग्री कॉलेज बलिया के आदरणीय भारतेंदु मिश्र शिक्षासंकाय के संकाय प्रमुख प्रोफेसर ओंकार सिंह प्रोफेसर ज्ञानेंद्र सिंह और अनेक लोगों ने भाग लिया ।
सतीश चंद्र कॉलेज के विभिन्न विभागों के विभाग अध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षणेत्तर कर्मचारी की भूमिका बहुत ही सार्थक और सराहनीय रही दल
विद्यार्थियों ने उत्साह पूर्वक लगभग 300 विद्यार्थियों ने चार्ट द्वारा भारतीय संविधान की रूपरेखा चारों तरफ लगाया और उसे प्रस्तुत किया यह महाविद्यालय के लिए राजनीति विज्ञान के लिए और हम सभी के लिए गौरव का क्षण है कि हमारे विद्यार्थी रुचि लेकर इन कार्यक्रमों में आगे बढ़ रहे हैं ।
हम पूरे विभाग की ओर से भाग लेने वाले सभी लोगों आभार व्यक्त करते हैं दल और हमें विश्वास है कि भारत के संविधान की उद्देशिका की परिचर्चा से शिक्षा मंदिर से जो यह शुरुआत हुई पूरे समाज में देश के संविधान के प्रति अपने मौलिक अधिकारों के प्रति मूल कर्तव्यों के प्रति सभी का मार्ग स्पष्ट करेगी।
रिपोर्ट : त्रयंबक पाण्डेय गांधी
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