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सतुआन पर कवियों ने बहाई काव्य रस की मधुर गंगा




 

बलिया। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा और साहित्य चेतना समाज के संयुक्त तत्वावधान में गड़वार स्थित जंगली बाबा धाम के निकट बुढऊ गांव में शिक्षक व  कवि  विन्ध्याचल सिंह के आवास पर सतुआन पर्व के उपलक्ष्य में सरस काव्य गोष्ठी की गई। इस काव्य समागम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां शारदे की प्रतिमा समक्ष दीप प्रज्ज्वलन पश्चात डॉ कादम्बिनी सिंह की वाणी वंदना से हुई। तत्पश्चात डॉ शशी प्रेमदेव ने रामकृष्ण गौतम से ज्यादा प्यार औरंगज़ेब/ दूर हमारी आंखों से ऐसे गद्दार चले जाएं से देश भक्ति का जज्बा भर गोष्ठी को ऊंचाई दी। बृजमोहन प्रसाद अनारी ने कान्हा देख सलतिया संघतिया के द्वारा भक्ति रस की गंगा बहा दी।

        डॉ नवचंद्र तिवारी ने पर्व तथा संविधान की सार्थकता पर यह प्यारा हिंदुस्तान हमारा/ उस पर पर्व सतुआन हमारा/ सबको लेकर साथ है चलता, ऐसा है संविधान हमारा और हमको कहने न आई ग़ज़ल दोस्तों/ लफ्ज़ घिसते गए बांकपन के लिए से वाहवाही लूटी। विंध्याचल सिंह ने ग्रामीण परिवेश को उकरते हुए अच्छी प्यारी नींद हमारी से तालियां बटोरी। हर्षित कुमार पांडेय ने वीर रस की रचना से हारा नहीं हूं मैं/ भाग गये रण छोड़ सभी से उत्साह का संचार किया।

     शंकर शरण काफिर ने शानदार ग़ज़ल से लोगों को झुमाया तो गोवर्धन भोजपुरी ने बड़ा नीक लागे मधुमास रे चैइतवा से प्रेम रस घोला। डॉ फतेहचंद बेचैन ने छोटी-छोटी बहुरंगी रचनाएं सुनाई तो मुकेश चंचल ने लगा के आग पानी में/ का पानी से आग बुझावेला से व्यंग्य कसा। प्रेमचंद गुप्त ने भावपूर्ण  रचना से सभी का दिल जीत तो लल्लन देहाती ने दोहों से महफिल लूटी। डॉ अरविंद उपाध्याय ने लयबद्ध रचना से गुरु महिमा का बखान किया। संतोष दीक्षित, सुनील सिंह समाजवादी, रामाशंकर यादव ने भी काव्य पाठ से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया।

     मौके पर ग्रामीण श्रोताओं संग तेज बहादुर सिंह, योगेंद्र सिंह, स्वामीनाथ वर्मा, सुभाष सिंह, नीरज दुबे, मैनेजर दुबे, अंकुश आदि उपस्थित थे। अध्यक्षता गोवर्धन भोजपुरी ने किया। संचालन शशि प्रेमदेव ने किया। आभार विंध्याचल सिंह ने व्यक्त किया।



By- Dhiraj Singh

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